GST Bill and the Constitution (122nd Amendment), Bill 2014 tabled in Rajya Sabha


GST Bill and the Constitution (122nd Amendment), Bill 2014 tabled in Rajya Sabha
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Thursday, August 4, 2016
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Dear all,

 As you all are aware that, on Wednesday 3rd August 2016, Hon'ble  Rajya Sabha has approved and passed the Goods and Services Tax (GST) Constitutional Amendment Bill, which was approved last year by Hon'ble Lok Sabha. The people of country and investors were eagerly waiting for GST regime, to have very transparent and simplified trade and business atmosphere. The said Bill will again send back to Lok Sabha for approval of the proposed amendments and to give final shape to the Bill. The rationale behind GST is that, it simplify the indirect tax regime with a single tax. By study it is estimated that  rollout of the tax with boost the GDP growth by anywhere between 0.9-1.7 percent. A Crisil report has also said that GST was the best way to mobilise revenue and reduce the fiscal deficit. Removal of cascading effect of multiple taxes will make the manufacturing sector more competitive and will cut down on the tax compliance burden.

The main objective of the GST is to eliminate excessive taxation. GST is a uniform indirect tax levied on goods and services across a country. Many developed nations tax the manufacture, sale and consumption of goods using a single, comprehensive tax. The roadmap for implementation of GST will be announced tomorrow, said Revenue Secretary Hasmukh Adhia.

"The GST bill will empower the states, will increase revenue of states as well as Centre. It'll ensure that there is 'no tax on tax' "finance minister Arun Jaitley said on Wednesday in the Lok Sabha.

It was the Congress-led UPA government that was the first one to table an iteration of the bill, which it did on 2011. It couldn't pass the bill then due to opposition disagreement. Then the BJP-led NDA tabled another version of the bill in 2014. That couldn't pass because this time, it faced disagreement on some of the provisions of the bill from its opposition, mainly the Congress party.

For this 2016 version of the bill, Hon'ble Union Finance Minister Shri Jaitley held several rounds of consultations with opposition parties and state governments. His attempt was to bring everyone on board, because, notionally, most parties are in favour a single tax regime.

The introduction of GST regime in our country is a historical step towards boosting of foreign investment and by which new technology will be introduced in India. On getting huge foreign investment our youth will have ample job opportunities. Thus the GST regime shall have multiple implications in the lives of people of India.

SIMA has attached herewith a book "INDIA Moving Towards Goods and Service Tax", the said book is compiled with an underlying idea to make traders and public aware about the proposed structure of GST. Beside elaborating the conceptual information about proposed GST regime in India, this book also contains views of Confederation of All India Traders and also raises some important questions reflecting bonafide concerns of the business community about GST and its implementation.

SIMA is also forwarding the "Simplifying the GST Code".   Please CLICK HERE to view the same.

The detail news on the approval of GST Bill by Hon'ble Rajya Sabha and on discussion on the various proposals, the opposition parties dissent and accordingly necessary amendments were proposed and finally the bill was approved and passed by majority. The detail of discussion is mentioned here under.

 नईदिल्ली।एक देश, एक टैक्स का सपना अब हकीकत बनने जा रहा है। दशक भर से अधिक के इंतजार के बाद आखिरकार संसद से जीएसटी लागू करने को आवश्यक संविधान संशोधन विधेयक पारित हो गया। इसके पारित होते ही पीएम मोदी के अलावा भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह और अन्‍य नेताओं ने खुशी जताते हुए विपक्ष को धन्‍यवाद कहा वहीं अरुण जेटली ने केक काटकर खुशी मनाई।

इससे पहले अल्पमत के कारण सरकार के लिए सबसे बड़ी अड़चन बनी राज्यसभा ने भी दो-तिहाई ही नहीं बल्कि सर्वसम्मति के साथ इस पर मुहर लगा दी। सभी जरूरी संशोधन भी सर्वसम्मति से ही पारित हुए। अब इस विधेयक को कानून बनने से पहले कम से कम 15 राज्यों के विधानमंडलों की मंजूरी लेनी होगी। इसके साथ ही पहली अप्रैल, 2017 से देश में जीएसटी लागू करने की पहली बाधा सरकार ने पार कर ली है। माहौल कुछ ऐसा बना कि विरोध में खड़े अन्नाद्रमुक ने भी औपचारिक विरोध से बचते हुए वाकआउट कर विधेयक पारित कराने की राह आसान कर दी।

राज्यसभा में बुधवार को इस विधेयक पर करीब आठ घंटे तक चली चर्चा में कांग्र्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने जीएसटी की अधिकतम दर 18 फीसद रखने की वकालत की ताकि आम जनता की जेब पर अधिक बोझ न पड़े। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चर्चा के जवाब में स्वीकार किया कि टैक्स की दर नीची रहनी चाहिए और केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी कि राज्यों के साथ एक उचित दर पर सहमति बने।

उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि टैक्स की दर तय करने का काम जीएसटी काउंसिल को करना है जिसमें राज्यों के साथ-साथ केंद्र की भी हिस्सेदारी होगी। इस काउंसिल में सभी राज्यों और सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि होंगे, लिहाजा कोई आवश्यकता से अधिक ऊंची दर रखकर जनता की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहेगा।

जेटली ने आश्वस्त किया कि जीएसटी लागू होने पर महंगाई नहीं बढ़ेगी। उन्होंने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर का उदाहरण देते हुए कहा कि जिन वस्तुओं और सेवाओं के आधार पर यह महंगाई दर तय होती है, उनमें से 54 प्रतिशत पर जीएसटी नहीं लगेगा जबकि 32 प्रतिशत वस्तुओं पर जीएसटी की निम्नतम दर लगेगी। वहीं शेष 15 प्रतिशत पर जीएसटी की स्टैंडर्ड दर लागू होगी।

आश्वासनसेइन्कार

विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष में इसके स्वरूप को लेकर काफी गहमागहमी रही। जीएसटी लागू करने के लिए अब केंद्र और राज्यों को स्टेट जीएसटी और सेंट्रल जीएसटी से संबंधित कानून बनाना होगा। विपक्ष ने भविष्य में संसद में आने वाले केंद्रीय जीएसटी और आइजीएसटी विधेयक को मनी बिल के तौर पर न लाने का आश्वासन वित्त मंत्री से मांगा।

लेकिन वित्त मंत्री ने पूर्व में कोई ऐसी परंपरा न होने का हवाला देकर अस्वीकार कर दिया। ये विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में लाए जाने की उम्मीद है। उन्होंने साफ कहा कि जो बिल आज की तारीख में केवल प्रस्तावित ही हैं, उनके बारे में अभी यह कैसे कहा जा सकता है कि वे मनी बिल नहीं होंगे।

वित्त मंत्री ने अपने जवाब में चर्चा के दौरान उठे तमाम सवालों का जवाब दिया। जेटली ने कहा कि जीएसटी के दायरे में कौन-सी वस्तुएं आएंगी और किन्हें जीएसटी से मुक्त रखा जाएगा, उसका फैसला भी जीएसटी काउंसिल में चर्चा के बाद ही होगा।

काउंसिल में विवाद की स्थिति में दो-तिहाई भार राज्यों के पास होगा और एक तिहाई केंद्र के पास रहेगा। साथ ही वोटिंग के वक्त काउंसिल के सदस्यों की कुल संख्या का तीन चौथाई उपस्थित होना आवश्यक होगा। जेटली ने कहा कि यह व्यवस्था इसीलिए बनाई गई है ताकि केंद्र या राज्यों पर मनमानी का आरोप न लगे।

पांचसालतकराजस्वकीक्षतिपूर्ति

राज्यसभा में जिन महत्वपूर्ण बदलावों को जीएसटी से संबंधित संविधान संशोधन कानून का हिस्सा बनाया गया है, उनमें जीएसटी लागू होने पर राज्यों को होने वाली राजस्व हानि की पांच साल तक भरपाई सुनिश्चित करने के वैधानिकप्रावधान शामिल हैं।

इससे पहले तीन साल तक शत-प्रतिशत भरपाई का प्रस्ताव किया गया था। दूसरे, सरकार ने राज्यसभा में रखे विधेयक में मैन्यूफैक्चरिग करने वाले राज्यों को एक फीसदी अतिरिक्त कर की दर का प्रस्ताव भी वापस ले लिया है।

जीएसटी लाने का एलान सबसे पहले साल 2006-07 के आम बजट में हुआ था। उस वक्त इसे पहली अप्रैल, 2010 से लागू करने का लक्ष्य तय हुआ था। सरकार ने फिलहाल इसे एक अप्रैल, 2017 से लागू करने का लक्ष्य रखा है। जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र और राज्यों के करीब डेढ़ दर्जन परोक्ष कर समाप्त हो जाएंगे।

जीएसटीकाउंसिलतयकरेगी

राज्यसभा से पारित संविधान संशोधन विधेयक के मुताबिक जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र और राज्यों के बीच आपसी विवाद होने की स्थिति में निर्णय करने वाले तंत्र की स्थापना जीएसटी काउंसिल करेगी। 2014 के विधेयक में इस बारे में स्पष्ट प्रावधान नहीं था।

विधेयक में आइजीएसटी (इंटीग्रेटेड जीएसटी) का नाम बदलकर अंतरराज्यीय व्यापार पर लगने वाला जीएसटी कर दिया है। यह एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच होने वाले सेवा या सामान के कारोबार पर लागू होगा।

आइजीएसटी में राज्यों की हिस्सेदारी भारत की संचित निधि का हिस्सा नहीं होगी। केंद्र को सीजीएसटी और आइजीएसटी के रूप में जो राशि प्राप्त होगी, उसका वितरण केंद्र और राज्यों केबीच में होगा।

वापसलोकसभामेंजानाहोगा

राज्यसभा से पारित विधेयक में संशोधनों पर अभी लोकसभा की मुहर लगाने के लिए इसे वापस निचले सदन में भेजा जाएगा। वहां से पारित होने के बाद ही यह विधेयक राज्यों की विधानसभाओं में प्रस्तुत किया जा सकेगा। राज्यसभा में आने से पहले लोकसभा ने संविधान संशोधन विधेयक को मई, 2015 में पारित किया था।

इसके बाद यह विधेयक राज्यसभा की प्रवर समिति के पास भेज दिया गया। प्रवर समिति ने जुलाई 2015 में इस पर अपनी रिपोर्ट दी। तब से यह विधेयक राज्यसभा की मंजूरी के लिए इंतजार कर रहा था।

संविधानसंशोधन (122वां) विधेयक, 2015 कीमुख्यबातें

  • संविधान में इस संशोधन के बाद केंद्र और राज्य सरकार दोनों को जीएसटी पर नियम बनाने की शक्ति मिल जाएगी।
  • केंद्रीय उत्पाद शुल्क और वैट जैसे करीब डेढ़ दर्जन कर समाप्त होने और जीएसटी लागू होने का रास्ता साफ हो जाएगा।
  • अंतरराज्यीय व्यापार पर समेकित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगेगा
  • पेट्रोलियम उत्पादों और शराब को फिलहाल जीएसटी से बाहर रखा गया है। इन उत्पादों को जीएसटी में लाने की तारीख जीएसटी परिषद तय करेगी।
  • राज्यों को होनी वाली राजस्व क्षतिपूर्ति का पांच साल तक भुगतान केंद्र करेगा।

This is for your information and with request to prepare road map and future planning of your business.

Thanking you,
With regards,

For Silvassa Industries & Manufacturers Association

Narendra Trivedi,
Secretary


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